क्या बदलेगा, क्या नहीं... VVPAT पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले की हर बारीक बात समझिए

नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव में दूसरे फेज की वोटिंग संपन्न हो चुकी है। अभी पांच चरणों का चुनाव बाकी है, 4 जून को रिजल्ट आएगा। इस चुनावी घमासान के बीच ईवीएम को लेकर भी काफी चर्चा रही। सुप्रीम कोर्ट में ईवीएम-वीवीपैट के 100 फीसदी मिलान की मांग को लेकर

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नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव में दूसरे फेज की वोटिंग संपन्न हो चुकी है। अभी पांच चरणों का चुनाव बाकी है, 4 जून को रिजल्ट आएगा। इस चुनावी घमासान के बीच ईवीएम को लेकर भी काफी चर्चा रही। सुप्रीम कोर्ट में ईवीएम-वीवीपैट के 100 फीसदी मिलान की मांग को लेकर याचिका दायर की गई थी। हालांकि, सर्वोच्च अदालत ने शुक्रवार को VVPAT से हर वोट के वेरिफिकेशन की मांग वाली अर्जियों को खारिज कर दिया। कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) से ही वोटिंग होगी। इस फैसले से मतदाताओं के लिए कुछ भी नहीं बदला। हालांकि, उम्मीदवारों को चुनाव के बाद 5 फीसदी ईवीएम के सत्यापन की अनुमति होगी। इसके साथ ही सर्वोच्च न्यायालय ने कुछ जरूरी परिवर्तन के भी आदेश दिए हैं। हम बताते हैं कि जजमेंट में क्या बदला है और क्या नहीं।

VVPAT से 100% वेरिफिकेशन की याचिका खारिज

सुप्रीम कोर्ट ने ईवीएम की गिनती के साथ वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) पर्चियों के 100 फीसदी सत्यापन की याचिका को खारिज कर दिया। जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने कहा कि तीन दलीलें पेश की गई। इसमें एक दलील थी कि पेपर बैलेट प्रणाली पर फिर लौटना चाहिए। वीवीपैट मशीन पर्चियों को सत्यापन के लिए मतदाताओं को दिया जाना चाहिए, इसे गिनती के लिए मतपेटी में डाला जाना चाहिए। इसके अलावा ईवीएम और वीवीपैट पर्चियों का 100 फीसदी मिलान होना चाहिए। हमने मौजूदा प्रोटोकॉल, तकनीकी पहलुओं और रिकॉर्ड में मौजूद आंकड़ों का हवाला देते हुए उन सभी दलीलों को खारिज कर दिया है।

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SC के फैसले से वोटर्स के लिए क्या बदला?

वोटर्स यानी मतदाताओं के लिए, सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से कोई बदलाव नहीं आया है। ईवीएम के जरिए वोटिंग की प्रक्रिया चलती रहेगी। इसमें 100 फीसदी मशीनें वीवीपैट यूनिट से जुड़ी होंगी। इसके अलावा, मौजूदा प्रावधानों के अनुसार, ईवीएम के साथ वोटों के वेरिफिकेशन के लिए पांच रैंडम सेलेक्ट विधानसभा क्षेत्रों या सेगमेंट की VVPAT पर्चियों की गिनती की जाएगी। याचिकाकर्ता एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने वीवीपैट पर्चियों के 100% मिलान की मांग की थी। हालांकि, कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया।

चुनाव आयोग के लिए फैसले में क्या है खास

चुनाव आयोग यानी इलेक्शन कमीशन के लिए वोटिंग प्रक्रिया के तरीके में खास बदलाव नहीं आया है, फिर भी सर्वोच्च न्यायालय ने चुनाव आयोग को इलेक्शन के बाद कुछ नई प्रक्रियाएं अपनाने का निर्देश दिया है। पहली बार कोर्ट ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया कि वह चुनाव चिन्ह लोडिंग यूनिट (SLU) को परिणामों की घोषणा के बाद 45 दिनों तक सील करके रखें। एसएलयू मेमोरी यूनिट हैं जिन्हें पहले कंप्यूटर से जोड़कर चुनाव चिन्ह लोड किया जाता है और फिर वीवीपीएटी मशीनों पर उम्मीदवारों के सिंबल दर्ज किए जाते हैं। इन एसएलयू को ईवीएम की तरह ही खोला, जांचा जाना चाहिए।

चुनाव आयोग के सूत्रों के अनुसार, प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में वीवीपैट पर चुनाव चिन्ह लोड करने के लिए एक से दो एसएलयू का इस्तेमाल किया जाता है। सूत्रों ने बताया कि अब इन्हें 45 दिनों तक स्टोर किया जाएगा, ताकि इनसे जुड़ी कोई भी चुनाव याचिका आने पर इन्हें सुरक्षित रखा जा सके।

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उम्मीदवारों के लिए क्या है फैसले में

इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट ने उम्मीदवारों को ईवीएम के सत्यापन की मांग करने का अधिकार दिया है। यह भी पहली बार हुआ है। दूसरे या तीसरे स्थान पर आने वाले उम्मीदवार प्रत्येक संसदीय क्षेत्र के हर विधानसभा क्षेत्र में 5 फीसदी ईवीएम में मेमोरी सेमीकंट्रोलर के सत्यापन की मांग कर सकते हैं। यह सत्यापन उम्मीदवार की ओर से लिखित अपील किए जाने के बाद होगा। ऐसा ईवीएम बनाने वाले इंजीनियरों की एक टीम के जरिए किया जाएगा। फैसले के अनुसार, उम्मीदवार या प्रतिनिधि मतदान केंद्र या क्रम संख्या से ईवीएम की पहचान कर सकते हैं।

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कोर्ट ने और क्या दी सलाह

अदालत ने कहा कि सत्यापन के लिए अनुशंसा चुनाव नतीजों की घोषणा के सात दिनों के भीतर किया जाना चाहिए और उम्मीदवारों को इसका खर्च उठाना होगा। उनकी शिकायत के बाद अगर ईवीएम से छेड़छाड़ पाया जाता है तो उनका पूरा खर्च वापस कर दिया जाएगा। इन दो निर्देशों के अलावा, कोर्ट ने कहा कि चुनाव आयोग इस सुझाव पर विचार कर सकता है कि वीवीपैट पर्चियों की गिनती मनुष्यों के बजाय काउंटिंग मशीन का इस्तेमाल करके की जा सकती है। सुनवाई के दौरान सुझाव दिया गया कि वीवीपैट पर्चियों पर बारकोड छपा हो सकता है, जिससे मशीन के जरिए गिनती करना आसान हो जाएगा। अदालत ने कहा कि चूंकि यह एक तकनीकी पहलू है, जिसका मूल्यांकन आवश्यक है। ऐसे में उसने इस पर कोई टिप्पणी करने से परहेज किया।

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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